10 अश्वगंधा के फायदे हिंदी Ashvagandha ke Fayade in Hindi

अश्वगंधा के फायदे के इस पोस्ट में आप जानोगे की Ashvagandha अश्वगंधा कितने दिन तक खाना चाहिए तथा इसके उपयोग का सही तरीका क्या है, इसको आप इसे कहा से खरीद सकते हो, कोनसा ब्रांड इसका सबसे अच्चा माना अत है।

इसके अलावा हम इस पोस्ट में वो सभी जानकारी देंगे जिनका अक्षर लोग अश्वगंधा का प्रयोग करने से पहले पूछते है, साथ में उन बातो को को भी सामिल करंगे की अश्वगंधा को सेक्स पॉवर कैप्सूल तथा दुसरे घरेलु उपचार में केसे ले।

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अश्वगंधा

आपने अक्षर अखबारों में पड़ा होगा की अश्वगंधा के बहुत सारे फायदे है जिनका अगर सही से प्रयोग करे तो बहुत सारे ऐसे रोग है जिनका आप घर बेठे ही उपचार कर सकते है, दूसरी बात ये बिलकुल प्प्रकतिक है उसी को ध्यान इ रखते हुए आपके सामने ये है अश्वगंधा के फायदे हिंदी का पूरा पोस्ट।

अश्वगंधा

दोस्तों अश्वगंधा क्या है? तो बता दे की अश्वगंधा एक पौधा होता है जिसकी दुनिया में लगभग 3000 प्रजातीय पायी जाती है जिनमे से 2 प्रकार की अश्वगंधा प्रजाति के पोधे हमारे भारत में पायी जाती है।

इसकी खेती भी की जाती है, आर्युवेद में बहुतायत में उपयोग में होने के कारण आजकल इसकी खेती भी की जाती है क्योकि लगत के हिसाब से ये बहुत अधिक मुनाफा देती है।

अश्वगंधा की तजा पतियों में घोड़े के मूत्र जैसी बदबू आती है इसलिए घोड़े जैसी खुसबू आने के कारण इसको अश्वगंधा कहते है, ये वनों में भी पाया जाता है लेकिन उसको उत्तम नहीं माना जाता, लेकिन जो खेतो में उगाया जाता है उसका ज्यादा उपयोग होता है।

अश्वगंधा एक आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है जो शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक स्वास्थ्य में सुधार करने के लिए उपयोग की जाती है। यह पौधा उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसे भारत के कुछ हिस्सों में पाया जाता है। इसके अलावा, यह चीन, नेपाल, बांग्लादेश और पाकिस्तान में भी पाया जाता है।

अश्वगंधा का वैज्ञानिक नाम Withania somnifera है और यह फैमिली Solanaceae से संबंधित है। इसकी जड़, पत्ते, फल और बीज से दवाई बनाई जाती है। यह जड़ी-बूटी बहुत गुणकारी है और इसे तकनीकी रूप से प्रसंस्कृत करने से इसके औषधीय गुणों को अधिक समझा जा सकता है।

स्ट्रेस को कम करने में मददगार: अश्वगंधा एक एंटीस्ट्रेस एजेंट है जो स्ट्रेस को कम करने में मददगार होता है। इसका उपयोग थकान, चिंता, उदासी और नींद की कमी जैसी स्थितियों को दूर करने के लिए किया जाता है।

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जंगल में उगने वाले अश्वगंधा से निअकल गया तेल काफी फायदेमंद बताया गया जिसका उपयोग प्राचीन काल से आर्युवेद में होता आ रहा है जिसकी पुरन जाकारी हम आगे पोस्ट में पढेगे, वैसे आउटलाइन में कहे तो इसमें पाया जाने वाला विदानिन एल्केलाॅइड इसको बहुत उपयोगी बना देता है।

अश्वगंधा का पौधा

आपको बता दे की इसकी लगभग 3000 हजार प्रजातीय है जिनमे से भारत में दो प्रकार की प्रजातीय पायी जाती हहै, पहले जो जंगलो में उगती है और दूसरी जिनकी खेती की जाती है, ये हमेशा सदाबहार रहने वाले सीधे पौधे होते है जिनकी लम्बाई 1.25 मीटर तक होती है।

इनकी पतियों पर रौम पाए जाते है जो अंडे की सामान आकृति की होती है, इनकी पत्तियों में घोड़े के मूत्र जेसी गंध आती है इसलिए ये आशानी से पहचाना जा सकता है, इसकी जेड मुली के अमन होती है जो लम्बाई में 30-45 सेमी तक तथा मोटाई में 2.5-3.5 सेमी तक होती है।

अश्वगंधा एक औषधीय पौधा है, जो भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और श्रीलंका में पाया जाता है। यह एक महत्वपूर्ण औषधीय पौधा है जो आयुर्वेद, सिद्ध और होम्योपैथी में उपयोग किया जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम Withania somnifera है। यह पौधा लगभग 5 फुट तक ऊंचा होता है और उसकी पत्तियां और फूल पीले रंग के होते हैं। अश्वगंधा के लिए उचित मौसम और भूमि की आवश्यकताएं विभिन्न होती हैं लेकिन इसे धार्मिक तौर पर महत्वपूर्ण स्थलों में भी उगाया जाता है।

अश्वगंधा को सभी भागों में उपयोग किया जाता है। इसकी जड़, पत्तियां, बीज और फल से दवा बनाई जाती है। इसकी जड़ का उपयोग शक्तिवर्धक और ताकत देने वाली दवाओं में किया जाता है। अश्वगंधा की पत्तियां मसालों, अधिक गुणवत्ता वाले दवाओं और खाने-पीने के उत्पादों में उपयोग की जाती है।

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अश्वगंधा के पौधे का वैज्ञानिक वर्गीकरण
वैज्ञानिक वर्गीकरण
जगत: पादप
Subkingdom ट्रैकेयोनायोंटा
विभाग मैग्नोलियोफाइटा
वर्ग मैग्नोलियोप्सीडा
उपवर्ग Asteridae
गण Solanales
कुल Solanaceae
वंश Withania
जाति W. somnifera

इसके फल मटर या बेरी के जेसे होते है, जिसमे दूध होता है, लघभग इसके हर भाग उपयोगी होते है जिनका उपयोग अलग अलग हिसाब से रोगों के उपचार में किया जाता है।

अश्वगंधा के पौधे के प्रकार

वैसे इसकी 3000 तक ज्ञात प्रजातीया है लेकिन हम यहाँ भारतीय पौधो के बारे में ही बात करने वाले है, भारत में मुख्यतया 2 प्रकार के पोधे पाए जाते है।

एक जंगली आवर दूसरा खेती वाला पोधा, जिसे हम छोटी असगंध (अश्वगंधा) तथा बड़ी या देशी असगंध (अश्वगंधा) कह सकते है।

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छोटी अश्वगंधा

राजस्थान के नागौर में बहुतात से पायी जाने वाली छोटी अश्वगंधा को नागौरी अश्वगंधा भी कहते है, क्योकि ये यहाँ बहुत पायी जाती है, अपेक्षाकृत गर्म वातावरण में असहनी से पनपने वाली इस छोटी अश्वगंधा का प्रयोग बड़ी की तुलना में बहुत कम होता है।

बड़ी अश्वगंधा

इसे आम भाषा में देशी अश्वगंधा भी कहते है, इसकी पाटिया होदी छोटी होती है जो हरइ भरे इलाको में ज्यादा पायी जाती है, इसका आर्युवेद में बहुत प्रयोग होता है, ये ज्यादातर खेतो और पहाड़ी इलाको में पायी जाती है।

बाजार में पायी जाने वाली अश्वगंधा दो प्रकार की होती है,

मूल

एक मूल अश्‍वगंधा जिसे Withania somnifera (Linn.) Dunal, कहते है ये दुसर रंग का होता है जिसकी लम्बाई 0.3-2 मीटर तक होती है।

काकनज

दूसरा काकनज जिसे Withania coagulans (Stocks) Duanl कहते है ये दिखने में झाड़ीदार होता है जिसकी उचाई 1.2 मीटर तक होती है।

अन्य भाषाओं में अश्‍वगंधा के नाम

भारत में सेकड़ो भाषाए बोली जाती है, इसलिये इसको अलग अलग क्षेत्रो में अलग अलग क्षेत्रो में अलग अलग नाम से जाना जाता है।

वैसे अगर पाको ज्यादा मालूम न हो तो आप इसके वानस्पतिक नाम जो (विथेनिआ सॉम्नीफेरा) Withania somnifera (L.) Dunal Syn-Physalis somnifera Linn से जान सकते है, यहाँ पर उच्च नाम है जनसे आप अपने क्षेत्र के नाम सइ मैच कर सकते है :-

  • Ashvagandha in Hindi (ashwagandha in hindi) – पुनीर, नागोरी असगन्ध, असगन्ध, अश्वगन्धा,
  • Ashvagandha in English – पॉयजनस गूज्बेर्री (Poisonous gooseberry), Winter cherry (विंटर चेरी),
  • Ashvagandha in Sanskrit – वराहकर्णी, कुष्ठगन्धिनी, अश्वगंधा, वरदा, बलदा,
  • Ashvagandha in Oriya – असुंध (Asugandha)
  • Ashvagandha in Urdu – असगंधनागोरी (Asgandanagori)
  • Ashvagandha in Kannada –  विरेमङड्लनागड्डी (Viremaddlnagaddi) अमनगुरा (Amangura),
  • Ashvagandha in Marathi  – टिल्लि (Tilli) असकन्धा (Askandha),
  • Ashvagandha in Malyalam – (Amukkuram) अमुक्कुरम
  • Ashvagandha in Punjabi –  (Asgand) असगंद
  • Ashvagandha in Nepali –  (Ashwagandha) अश्वगन्धा
  • Ashvagandha in Bengali –  (Ashwagandha) अश्वगन्धा
  • Ashvagandha in Gujarati –  घोडासोडा (Ghodasoda), आसन्ध (Aasandh),असोड़ा (Asoda)
  • Ashvagandha in Telugu – आंड्रा (Andra), पैन्नेरुगड्डु (Panerugaddu), अश्वगन्धी (Ashwagandhi)
  • Ashvagandha in Tamil – चुवदिग (Chuvdig), अमुक्किरा (Amukkira), अम्कुंग (Amkulang)Ashvagandha in Farasi – (Mehernanbarari) मेहरनानबरारी , (Ashgandh-e-nagori)असगंध-ए-नागौरी
    Ashvagandha in Arabic –  (Tukhme hayat)तुख्मे हयात,  (Kaknaje hindi) काकनजे हिन्दी

ये कुछ नाम है जिससे आपको असहनी होगी, आप अगर दूसरी भाषा से हो तो आप आर्टिकल को ट्रांसलेट करके भी पद सकते हो।

10 अश्वगंधा के फायदे हिंदी – Benefits of Ashvagandha

दोस्तों अपने अश्वगंधा के फायदे हिंदी पोस्ट के दुसरे में टॉपिक के बारे पार आता है अश्‍वगंधा के फायदे Benefits of Ashvagandha में आप जानोगे की इसके फायदे है और इसका प्रयोग केसे केरे जिससे आपको इसका सर्वोतम लाभ मिले।

वैसे अश्‍वगंधा के फायदे में ये सफेद बाल, आंखों की ज्‍योति बढाने में, गले के रोग (गलगंड), टीबी रोग में,खांसी का इलाज, यौन दुर्बलता में, पेट की बीमारी, कब्‍ज की समस्या का इलाज करने में, गर्भधारण में बहुत फायदेमंद होती है।

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अश्‍वगंधा के फायदे

आप कभी कोई अर्युवैद्क प्रोडक्ट देखना और उसकी सामग्री को देखना जिससे वो बनी है उसमे आप तुलसी, अश्‍वगंधा, मेथी, नीम, सौफ आदि के नाम लगभग हर एक डिप्पे पर पाओगे, क्योकि ये बहुत ही करकर और ज्यादातर रोगों के उपचार में काम आते है।

वैसे तो इसके बहुत उपयोग है लेकिन हम पोस्ट को ज्यादा लम्बा न खीच कर कुछ विशेष ज्सिमे ये सबसे ज्यादा उपयोगी है उनका विवरण और उपयोग की विधि का पूरा तरीका दे रहे है जो निम्न प्रकार से है :-

1. सफेद बाल का उपचार

सफेद बाल का उपचार में अश्वगंधा शतावरी के फायदेअजकला बाल सफ़ेद होना आम हो गया क्योकि आजकल लोग डाई, अलग केमिकल आती का प्रोग करते है इससे बाल सफ़ेद हो जाते हो और आहूत लोगो झड़ने भी लगते है,

वैसे अगर आपके बाल झड रहे है तो इन टिप्स की सहायता से रोके बालों का झड़ना तथा Livon Hair Gain का भी प्रयोग कर सकते है, बालो को मजबूती देने के लिए अरंडी का तेल भी कारगर होता है।

साथ में अगर आप अश्‍वगंधा का प्रयोग करते है तो रिजल्ट बहुत ही संदर आता है,  सफ़ेद बालो में आप अश्‍वगंधा का प्रयोग कर पुनः काले जावा कर सकते है।

  • बालो के झड़ने से रोकने के लिए आप अश्‍वगंधा के चूर्ण का प्रयोग करे,
  • रोजाना 2-4 ग्राम अश्वगंधा चूर्ण खाए, कुछ ही दिनों आपको फर्क नजर आएगा,
  • जब परिणाम अच्छा आने लगे तो आप ज्यादा दिन तक प्रयोग कर सकते है,

2. टीबी रोग

टीबी रोग में ashwagandha benefits in hindiटीबी रोग या Tuber Culosis एक फेफड़ो का भायानाक्र रोग है जिसका उपचार आधुनिक विज्ञानं में पूर्णतया संभव है, पहले के समय में टीबी रोग का उपचार अश्‍वगंधा की सहायता से किया जाता था, अश्‍वगंधा तथा दूसरी आर्युवेदिक ओषधियो के सही प्रयोग से असहनी से दूर या कम हो जाती है।

इसके लिए अश्‍वगंधा का प्रयोग काडे के साथ किया जाता है, क्षय रोग में तथा दुसरे रोगों में भी काडे का प्रयोग बहुत हुआ है आपको बता दे अभी कोरोना के समय में भी लोग काडे का प्रयोग करके इम्युनिटी बढ़ाते थे।

  • इसके लिए सबसे पहले 2 ग्राम अस्वगंधा का चूर्ण ले
  • फिर 20 ग्राम काडे की मात्रा ले जिसे अस्वगंधा से बना ले,
  • फिर 5 ग्राम घी, 5 ग्राम शहद, 1 ग्राम बड़ी पीपल का चूर्ण,
  • इनको मिलकर इसका सेवन करे इसका अच्चा लाब मिलेगा,

3. गले के रोग (गलगंड)

गले के रोग himalaya ashwagandhaज्यादा ठंडा और गर्म खान के कारन गले के रोग होना आजकल आम हो गया है, Ashvagandha benifits में गले के रोगों का भी ग्रथो में जिक्र है, मुख्या रूप से गले में होने वाले गलगंड रोग में इसका काफी उपयोग होता है और ये करगहर भी होता है।

गलगंड के उपचार में Ashvagandha के पाउडर का प्रयोग किया जात है, इसके लिए इसमें पुराने गुड का प्रयोग साथ में प्रयोग किया जात है, पुराने गुड से तात्पर्य है की गुड एक साल से अधिक पुराना हो।

  • सबसे पहले अश्‍वगंधा पाउडर की आधे से 1 ग्राम की मात्र ली जाती है,
  • बाद में पुराने गुड जो एक साल पुराना हो उसकी सामान मात्र ली जाती है,
  • बाद में दोनों को समान रूप से मिलाकर इसका सेवन किया जाता है,
  • इसका प्रयोग रात के पानी से जो मटके में हो उसके साथ सुबह सुबह करते है,
  • आप इसके पतों का लेप बना कर गलगंड वाले स्थान पर लगा सकते है,
  • ये रोग ठीक होने तक करते है, जब सही हो जाए बंद उपयोग बंद कर दे,

4. आंखों की ज्योति में

आंखों की ज्योति में ashwagandha ke faydeअगर किसी कारनवस या बदती उम्र के कारण आपकी आँखों की रोसनी कम होती जा रही है तो आप Ashvagandha के प्रयोग से काफी फायदा ले सकते हो, इसमें Ashvagandha और साथ में दूसरी ओसधियो का प्रयोग होता है।

इसके लिये 1 ग्राम मुलेठी, 2 ग्राम आंवला, अश्‍वगंधा आदि को पीसकर चूर्ण बना लिया जाता है बाद में इसे सुबह और सामको इसका सेवन किया जाता है, जिससे अड़ तक आँखों की रौसनी बढाने में फायदा होता है।

  • सबसे पहले 1 ग्राम मुलेठी, 2 ग्राम आंवला (धात्री फल), अश्‍वगंधा ले,
  • इन तीनो को पीसकर इसका अच्चा सा चूर्ण बना ले,
  • फिर एक चम्मच सुबह और एक चम्मच साय को इसका सेवन करे,
  • आँखों की रौसनी में काफी फायदा होगा,

5. सैक्स पावर बढाने में

सैक्स पावर बढाने में ashwagandha powderइसमें कोई दोहराय नहीं की अश्वगंधा का फायदा सेक्स पॉवर बडाने में होता है, अगर आप कोई भी अर्युवैद्क सैक्स पावर Capsule को देखेंगे तो उसमे अश्वगंधाका प्रयोग हुआ होगा, क्योकि इसमें पाए जाने प्रदार्थ यौन समस्यायों पर सीधा प्रभाव करते है।

अगर आप में सेक्स के प्रति इच्छा नहीं होती है तो इसका सेवन आपके अन्दर मौजूद तत्व जोश की दवा का काम करते है जिससे आप पुनः यौवन की उस चरम सीमा को पा सकते हो जिसे हर कोई अनुभव करना चाहता है।

इसमें मौजूद तत्वों का विवरण देखे तो यौन क्रियाओ में पत्थर जैसा सख्त खड़ा करने का प्राचीन फार्मूला में भी इसका प्रयोग होता है, इसको आप टाइम बढ़ाने की मेडिसिन के रूप में भी काम में ले सकते है,

  • इसके लिए Ashvagandha का प्रयोग कर सकते,
  • इसका सेवन आप सुबह साम केर,
  • आप Ashvagandha कैप्सूल और चूर्ण ऑनलाइन खरीद सकते,
  • डिब्बे पर लिखे निर्देशों के अनुसार भी सेवन कर सकते है.

6. खांसी का इलाज

खांसी का इलाज ashwagandha benefitsजैसा की आपको हमने बताया था की टीबी रोग में इसका बहुत अच्चा प्रभाव पड़ता है उसी प्रकार इसका दुसरे स्वास रोगों में भी इसके बहुत अच्छे फायदे है, खांसी के इलाज में भी इसका अच्चा लाभ मिलता है।

खाशी से होने वाले दर्द में आप इसका प्रयोग कर सकते हो, इसके लिए आप इसका चूर्ण बनाकर सुबह साम सेवावं करें काफी फायदा मिलेगा, लेने के लिए आप किसी भी अच्छी कंपनी का चूर्ण ले और उसके अनुसार सेवावं करे।

  • खासी के उपचार में आर्युवेद की दवा ले,
  • जिस प्रकार उसमे Ashvagandha का सेवन बाया है उसी हिसाब से ले,
  • दिब्बेद पर दिए गए निर्देशों के हिसाब से ले ज्यादा सही रहता है,

7. गर्भधारण करने में

गर्भधारण करने में डाबर अश्वगंधा चूर्ण के फायदेअगर आप गर्भधारण करना चाहते हो तो गर्भधारण के फ़ास्ट तरीके टिप्स को पढ सकते हो, Ashvagandha का सही से प्रोग हो रो आपको मालूम हो की पीरियड के कितने दिन बाद संबंध बनाना चाहिए तो अशानी गर्भधारण कर सकते हो।

अश्वगंधा का प्रयोग यौन संबधी बीमारियों में बाबची बीज तथा Cinnamon in Hindi की तरह उपयोग काफी फायदेमंद होता है, जिसका जिक्र आर्युवेद में बहुत बार किया गया है।

  • सबसे पहले 20 ग्राम अश्वगंधा चूर्ण ले और इसको 1 लीटर पानी के साथ मिला ले,
  • अब इसके अन्दर 250 मिलीग्राम गया का दूध मिलाकर हल्का हल्का गर्म करे,
  • तब तक धीमी अनचा पर गर्म करते रहे जब दूध और पानी की पूरी मात्र 250 ग्राम तक हो जाये,
  • जब सारा पानी उड़ जाए तो इसमें 6 ग्राम गाय का घी और 6 ग्राम मिश्री मिला ले,
  • माशिक धर्म आने के 3 दिन बाद इसका सेवन तिन दिन तक करे,
  • निचय ही आपको फायदा होगा,

ऊपर लिखा गया पहला तरीका है इसके और भी कुछ तरीके है जिन्हें आप निचे कमश देख सकते है :-

  • सबसे पहले Ashvagandha चूर्ण ले और ताजे दूध के साथ सेवन करे,
  • अगर गाय का तजा दूध नहीं है तो आप इसे पानी के साथ भी सेवन कर सकते है,
  • इसको लगातार एक महीने तक ले,

लेकिन ध्यान रहे अगर आप गर्भधारण कर चुकी है तो इस प्रकार के घरेलु उपायों से बचे, अगर आपको पता न हो की आप गर्भवती है या नहीं तो आप प्रेगा न्यूज से चेक कर सकती है वो भी अपने घर पर ही।

8. ल्यूकोरिया के इलाज

ल्यूकोरिया के इलाज में पतंजलि अश्वगंधा कैप्सूल के फायदेदोस्तों ल्यूकोरिया के इलाज में भी अश्वगंधा का प्रयोग काफी फायदे मंद माना जाता है, ल्यूकोरिया जिसे आम भाषा में सफेद पानी या श्वेत प्रदर भी कहते है ये महिलाओं में होने वाला एक आम यौन रोग है।

जिसके कारन महिलाओ में सफेद पानी आता रहता है और ये महिलाओ को धीरे धीरे कमजोर भी बनता जाता है, अगर आपने इसके बहुत सारे इलाज करवा लिए है और फिर भी सही नहीं हो रहा है तो आर्युवेद का सहारा ले सकते है।

ल्यूकोरिया के इलाज के लिए अश्वगंधा के की जड़ के चूर्ण का प्रयोग काफी फायदे मंद माना जाता है, जिसे आय के दूध के साथ सुबह सैम लिया जाता है :-

  • सबसे पहले अश्वगंधा के की जड़ के चूर्ण ले,
  • इसको गाय के दुढ के साथ मिला ले,
  • इसका सुबह और सामको सेवन करे,

आप ल्यूकोरिया के इलाज के लिए तिल, उड़द, गुड़ व अस्वग्न्धा को मिलकर घी के लड्डू बनाकर भी काम में ले सकते है।

9. बुखार उतारने में

बुखार उतारने में अश्वगंधा के फायदेप्राचीन काल में से बुखार उतारने में अश्वगंधा का प्रोग होता आ रहा है वैसे आजकल तो Dolo 650 से असहनी से उतर जाता है लेकिन, जो व्यक्ति सब कुछ नेचुरल काम में लेना चाहते है उनके बुखार में अश्वगंधा का प्रयोग कर सकते है।

इसके अश्वगंधा का प्रयोग गिलोय के साथ किया जाता है, जिसे गुनगुने पानी और सहाद के साथ दिया जाता है, इससे बुखार उअतर जाता है।

  • सबसे पहले 1 ग्राम गिलोय जूस ले आवर उसमे 2 ग्राम अश्‍वगंधा चूर्ण  मिला ले,
  • अब इसके अन्दर सहद की थोड़ी मात्र मिलकर गुन गुने पानी के साथ ले.

10. रक्त की बीमारियों में

रक्त की बीमारियों में अश्वगंधा के फायदे हिंदीरक्त विकारों में भी इसका प्रयोग होता आ रहा है, अगर आपके सरीर पर बार फोड़े निकल रहे है या कोई एनी बिमारी है तो भी आप इसका प्रयोग कर सकते है।

इसके लिये चोपचीनी चूर्ण के साथ बराबर मात्रा में अस्वगंधा चूर्ण का प्रयोग किया जाता है, नियमित सेवन से बहुत लाभ मिलता है।

  • बराबर मात्र में चोपचीनी चूर्ण और Ashvagandha चूर्ण ले,
  • इसको आचे से मिलकर रोज सुबह 3-5 ग्राम खाना चाहिए,
  • आप इसे पानी के साथ मिलाकर भी ले सकते है,

इस प्रकार हमने ashwagandha benefits का समावेश इस पोस्ट में कर दिया है, अगर आपको कुछ उपयोगी Health से समबंधित या और अश्वगंधा के फायदे हिंदी में बताने है तो हमे जरुर लिखे।

वैसे अगर आप कोई विशेष बीमारी की दवाई ले रहे हो तो प्रयोग से पहले आप अपने डॉक्टर से मिलकर उनसे सलाह जरुर ले.

अश्वगंधा पर पूछे गए प्रश्न और उनके उतर 

जेसे की हमने पोस्ट को पूरा करने में टॉपिक के अनुसार सभी बातो को ध्यान में रखा है लेकिन कुछ प्रश्नों के उतर अभी तक क्लियर नहीं हुए है, उन्ही कुछ चुनिन्दा पर्स्नो के हिसाब से यहाँ उनके आंसर भी है जो निम्न है :-

अश्वगंधा कितने दिन तक खाना चाहिए?

वैसे का सेवन रोग के हिसाब से किया जाता है फिर भी अगर इसकी 2 से 4 ग्राम की मात्र सुबह और सांयकाल में 4 महीने तक ले तो शरीर को इसका पूर्ण पोषण मिलता है इसके परिणाम भी लाभदायक होते है।

अश्वगंधा के सेवन के लिए, आमतौर पर एक व्यक्ति को इसे 6 से 8 सप्ताह तक लेना चाहिए। लेकिन, अश्वगंधा का सेवन आपके उद्देश्य के आधार पर भी अलग-अलग हो सकता है। यदि आप अश्वगंधा का सेवन शरीर की कमजोरी को दूर करने और स्ट्रेस को कम करने के लिए कर रहे हैं, तो आपको इसे 6 से 8 सप्ताह तक लेना चाहिए।

अगर आप अश्वगंधा के सेवन को आंशिक रूप से तुरंत लाभ पाने के लिए कर रहे हैं, तो इसे 2 सप्ताह तक लेना चाहिए। इसके अलावा, आप अश्वगंधा का सेवन खाली पेट कर सकते हैं या खाने के बाद भी कर सकते हैं।

हालांकि, यदि आप किसी भी दवा या सम्पूरक द्वारा उपचार कर रहे हैं तो आपको अपने चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए इससे आपको यह जानने में मदद मिलेगी कि क्या आप अश्वगंधा ले सकते हैं या नहीं। वैसे, अश्वगंधा का सेवन आमतौर पर सुरक्षित होता है लेकिन अगर आपको कोई अलर्जी या संबंधित समस्या है तो आपको इसका सेवन करने से बचना चाहिए

पतंजलि अश्वगंधा कैप्सूल के फायदे?

अश्वगंधा चूर्ण,बारीक़ पा उ डर और कैप्सूल के रूप में आता है लेकिन अगर हम पतंजलि अश्वगंधा कैप्सूल के फायदे में इन्द्रियों या लिंक को मजबूत या पोषण देने के लिए पतंजलि अश्वगंधा कैप्सूल काफी फायदेमंद होता है।

डाबर अश्वगंधा चूर्ण के फायदे?

दोस्तों डाबर अश्वगंधा चूर्ण के फायदे फायदों में ये रिएक्टिव ऑक्सीजन स्पीशीज का निर्माण करता है, जिससे कैंसर सेल्स को खतम करने में मदद मिलती है, इसलिए कैंसर रोगियों में काफी फायदेमंद भी होता है।

डाबर अश्वगंधा चूर्ण एक प्रसिद्ध आयुर्वेदिक दवा है जिसे अश्वगंधा के रूप में भी जाना जाता है। यह आमतौर पर एक दिन में दो बार लिया जाता है और इसके कई फायदे हैं।

यहां डाबर अश्वगंधा चूर्ण के कुछ मुख्य फायदे हैं:

  1. स्ट्रेस और अवसाद को कम करने में मददगार है: अश्वगंधा चूर्ण अवसाद और स्ट्रेस को कम करने में मददगार होता है। इसे लेने से एक व्यक्ति का मूड स्वस्थ रहता है और उन्हें एक सकारात्मक महसूस कराता है।
  2. बूस्ट इम्यून सिस्टम: यह चूर्ण व्यक्ति के इम्यून सिस्टम को बढ़ाने में मददगार होता है। यह शरीर को संक्रमण से लड़ने की क्षमता देता है और अन्य बीमारियों से लड़ने में सहायता प्रदान करता है।
  3. शारीरिक स्थमिति बढ़ाता है: अश्वगंधा चूर्ण व्यक्ति के शारीरिक स्थिरता को बढ़ाता है। यह उन लोगों के लिए उपयोगी होता है जो शारीरिक श्रम करते हैं

अश्वगंधा शतावरी के फायदे?

दोस्तों अश्वगंधा शतावरी के फायदे में मुख्या रूप से ये पुरुषो में कामुकता बडाता है, शारीरिक क्षीणता को कम करके ये नपुसंकता को भी कम करता है, जो रोगी यौन के प्रति डिप्रेस हो गए उनके लिए अश्वगंधा शतावरी काफी फायदेमंद है।

अश्वगंधा और शतावरी दोनों ही आयुर्वेदिक दवाइयाँ हैं जो पौष्टिक गुणों से भरपूर होती हैं। इन दोनों के संयोग से अधिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है। यह शरीर को ताकत देने, स्वस्थ रखने और बीमारियों से लड़ने में मदद करते हैं। इसलिए, अश्वगंधा और शतावरी के संयोग से निम्नलिखित फायदे प्राप्त किए जा सकते हैं:

  1. शरीर को ताकत देना: अश्वगंधा और शतावरी दोनों ही शरीर को ताकत देने में मदद करते हैं। इसलिए, इन्हें नियमित रूप से उपयोग करने से शरीर की ताकत में वृद्धि होती है।
  2. स्त्री स्वास्थ्य: शतावरी स्त्री स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद होती है। यह महिलाओं में गर्भधारण शक्ति को बढ़ाती है, पीरियड्स के दर्द को कम करती है और विभिन्न गर्भाशय संबंधी रोगों से बचाती है।
  3. अच्छी नींद: अश्वगंधा नींद को बेहतर बनाने में मदद करती है

महिलाओं के लिए अश्वगंधा लाभ?

जैसे की आपने ऊपर पड़ा होगा ग्रभधारण में अश्वगंधा का प्रयोग बहुत ही लाभदायक है अगर किसी स्त्री का गर्भधारण नहीं हो रहा है या उसको थायराइड की प्रोबेल्म भी दूर हो जाती है।

अश्वगंधा महिलाओं के लिए कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है। यहाँ कुछ महत्वपूर्ण लाभ बताए गए हैं:

  1. हार्मोनल संतुलन को बनाए रखें: अश्वगंधा महिलाओं के लिए हार्मोनल संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है। इससे मासिक धर्म की समस्याओं, बाल झड़ने और अन्य समस्याओं को कम करने में मदद मिलती है।
  2. स्तनों की स्वस्थता: अश्वगंधा महिलाओं के स्तनों की स्वस्थता के लिए भी बहुत उपयोगी होता है। इससे स्तनों के विकास में मदद मिलती है और स्तनों की कुछ समस्याओं को भी कम किया जा सकता है।
  3. स्त्री शक्ति को बढ़ावा: अश्वगंधा महिलाओं की शक्ति को बढ़ावा देता है जो उनके दैनिक कार्यों में मदद करता है। इससे उन्हें अधिक ऊर्जा मिलती है जो उनके दैनिक काम को करने में मदद करती है।
  4. स्त्री बाल स्वास्थ्य: अश्वगंधा महिलाओं के बाल स्वास्थ्य के लिए भी बहुत उपयोगी होता है। इससे बालों की स्वस्थता को बनाए रखने में मदद मिलती ह

अंतिम पक्तिया

आशा करते है आपको Hindi Gagan का अश्वगंधा चूर्ण और अश्वगंधा कैप्सूल के फायदे का पोस्ट पसन् आया होगा, अगर आपको कुछ विशेष जानना है हो हमारे पोस्ट में लिखा हुआ न हो तो आप हमें कमेंट में पुच्छ सकते है।

अगर आपको इसके प्रयोग से कोई प्रॉब्लम होती है तो तुरंत इसका प्रयोग बंद करदे, तथा कोई एनी प्रकार की दावा खाते हो तो प्रयोग से पहले अपने चिकित्सक से सलाह जरुर ले. धन्यवाद

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