7 Ekadashi Vrat katha in hindi

एकादशी व्रत कथा हिंदू धर्म में एक प्रसिद्ध व्रत कथा है, जिसे एकादशी तिथि को कहते हैं। एकादशी व्रत धार्मिक महत्व के साथ हर मास के दो बार (गुरुवार और शनिवार को) किया जाता है। यह व्रत कथा भगवान विष्णु के प्रेमी भक्तों के लिए विशेष महत्वपूर्ण है, जो भगवान के चरणों में शरण लेते हैं और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए प्रयास करते हैं।

एकादशी व्रत कथा में एक किस्सा सम्मिलित होता है जो भगवान विष्णु के अनुयायी भक्त या देवी माया के अभिमानी दैत्य के बीच के संघर्ष और समर्थन के बारे में होता है। इस व्रत कथा में भगवान विष्णु के अवतार, श्रीकृष्ण और श्रीराम के अद्भुत लीला और महत्वपूर्ण कार्य भी सम्मिलित होते हैं।

Ekadashi vrat katha book in hindi

Ekadashi vrat katha book in hindi

व्रत कथा के माध्यम से, एकादशी व्रत करने वाले भक्त अपने मन में सात्विकता और त्याग के भाव को विकसित करते हैं, और भगवान के ध्यान में खो जाते हैं। इस व्रत कथा के सुनने से भक्त को भगवान विष्णु के प्रति गहरी श्रद्धा एवं भक्ति की भावना बढ़ती है, और उन्हें धार्मिक उत्साह एवं उच्चतम सात्विक गुणों की प्राप्ति होती है।

निम्नलिखित हैं सात प्रसिद्ध एकादशी व्रत कथाएं हिंदी में:

पुत्रदा एकादशी कथा

एक बार द्वापर युग में राजा सुभ्रत नामक राजा थे। उनके गुणों के कारण वे बड़े धर्मात्मा और न्यायप्रिय थे। उन्हें एक पुत्र की अति लालसा थी, लेकिन उन्हें विवाहित होने के बाद भी पुत्र नहीं प्राप्त हुआ। उन्होंने राजबीय ब्राह्मण के सुझाव से पुत्रदा एकादशी का व्रत आरंभ किया। पुत्रदा एकादशी के व्रत के पश्चात, उन्हें एक सुन्दर सन्तान प्राप्त हुई जिसका नाम बारही रखा गया।

पारणा एकादशी कथा

एक बार त्रेता युग में राजा मंदता नामक राजा थे। उनके राज्य में सुख-शांति थी, लेकिन उनको एक समस्या थी कि उनके राज्य में अवसादी रोगी बहुत थे। राजा ने एक राजबीय ब्राह्मण से सलाह ली और उन्हें पारणा एकादशी के व्रत के बारे में बताया गया। राजा ने व्रत किया और पारणा एकादशी के व्रत के पश्चात, उनके राज्य में अवसादी रोगी सभी ठीक हो गए।

वरूथिनी एकादशी कथा

एक बार राजा कुबेर और राजमाता भृगुपुत्री नामक राजकुमारी थे। भृगुपुत्री बहुत संवेदनशील और दयालु थी। एक बार उन्होंने एक वृद्ध ब्राह्मण के समक्ष एक प्यासे कुत्ते को पानी देते हुए देखा। ब्राह्मण ने उन्हें वरूथिनी एकादशी के व्रत के बारे में बताया। राजकुमारी ने व्रत किया और भगवान विष्णु ने उन्हें अपने श्रीवत्स परिधान से सुसज्जित रथ पर सवार कर स्वर्ग के दर्शन करवाए।

मोहिनी एकादशी कथा

एक बार द्वापर युग में राजा विश्वरथ नामक राजा थे। राजा बड़े भक्त थे और उन्हें भगवान विष्णु के विभूतियों का दीव्य रूप से समर्थन था। एक दिन, उन्होंने एक ब्राह्मण को संतुष्ट किया और उन्हें मोहिनी एकादशी के व्रत के बारे में ज्ञान दिया। राजा ने व्रत किया और मोहिनी एकादशी के व्रत के पश्चात, उन्हें स्वप्न में भगवान विष्णु ने दर्शन किया और उन्हें मोक्ष प्रदान किया।

पाषांकुशा एकादशी कथा

एक बार राजा दीर्घबाहु नामक राजा थे। उन्होंने पाषांकुशा एकादशी के व्रत के बारे में वृद्ध ब्राह्मण से सुना। राजा ने व्रत किया और व्रत के फलस्वरूप उन्हें सुंदर रत्नी से युक्त रथ पर सवार कर स्वर्ग लोक जाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।

अपरा एकादशी कथा

एक बार राजा काशीराज नामक राजा थे। उनके राज्य में सुख-शांति थी, लेकिन उनके बड़े बेटे बहुत दुखी और रोगी थे। एक विशेष रोगी दिव्य वैद्य ने उन्हें अपरा एकादशी के व्रत के बारे में सलाह दी। राजा ने व्रत किया और व्रत के पश्चात, उनके बेटे की बीमारी ठीक हो गई और उन्हें समृद्धि की प्राप्ति हुई।

पुत्रोपदेशक एकादशी कथा

एक बार राजा सुरथ नामक राजा थे। राजा को संतानहीनता की समस्या थी और वे बड़े परेशान थे। राजा ने राजकुमार अभिमन्यु से पुत्रोपदेशक एकादशी के व्रत के बारे में सुना और उनसे सलाह ली। अभिमन्यु ने व्रत किया और व्रत के फलस्वरूप, उन्हें एक पुत्र की प्राप्ति हुई जिसका नाम परीक्षित रखा गया।

ये थीं कुछ प्रसिद्ध एकादशी व्रत कथाएं हिंदी में, जो भक्तों को धार्मिकता, सदयता, और समृद्धि की प्राप्ति में मदद करती हैं। आप इन कथाओं को व्रत के दिन पढ़कर व्रत कर सकते हैं और अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकते हैं।

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