6 Hindi Bodh Katha – छोटी-छोटी हिंदी बोध कथाएं हैं

“साँप और मूषक”

एक जंगल में एक साँप और एक मूषक एक साथ रहते थे। वे अच्छे दोस्त थे और सभी कठिनाइयों को मिलकर पार करते थे। जंगल में भूखे रहने के कारण दोनों को भोजन ढूँढने में काफी समय लगता था। इसलिए उन्होंने मिलकर मिलवट का सोचा।

hindi bodh katha

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साँप ने सोचा, “मूषक के पास आंखें हैं, वह बेहतर ढूँढ सकता है। मैं उसे ऊपर ले जाऊंगा और वह बता सकेगा कि भोजन कहाँ मिल सकता है।” उसके पश्चात, साँप ने मूषक से कहा, “मेरे साथ ऊपर चलो, मैं तुम्हें भोजन का स्थान दिखाऊंगा।”

मूषक ने साँप का साथ देने को स्वीकार कर लिया। साँप ने अपनी लम्बी डोसरी से मूषक को ऊपर ले जाकर एक पेड़ की ऊंची डाली पर चढ़ा दिया। वहां से मूषक को सारे जंगल का नजारा दिख रहा था। मूषक ने भोजन के लिए आस-पास देखा और अपने दोस्त साँप को ध्नायवाद दिया।

साँप ने आकर वहां भोजन के लिए देखा और जल्दी से एक चूहे को पकड़कर खा लिया। मूषक ने देखा कि साँप उस चूहे को खा गया है, और उसका मन बहुत दुखी हो गया। वह साँप से बोला, “तुमने मुझसे झूठ बोला! मुझसे अच्छा तो मैं अकेले ही खुद भोजन ढूँढ लेता।”

साँप ने कहा, “मैंने तुमसे झूठ नहीं बोला, मैंने तुम्हें वह जगह दिखाई जहाँ भोजन मिल सकता है। तुम्हारी गलती तुम्हारे समझ की है कि तुमने सही जगह ढूँढी नहीं।” इससे मूषक को अपनी अभिप्रेत और समझदारी की पहचान हो गई। उसके बाद से वे दोनों अपने-अपने काम करने लगे और सभी मुश्किलें आसानी से पार करने लगे।

इस कथा से सिख: विश्वासघात से बचें और सच्चे और विश्वसनीय मित्रों का साथ करें।

सुनिए, यहां कुछ छोटी-छोटी हिंदी बोध कथाएं हैं:

खरगोश का सबक

एक बार एक खरगोश जंगल में घूम रहा था। वह दूसरे जानवरों से बहुत तेज दौड़ सकता था और इसका गर्व भी इस बात पर था। एक दिन, उसने एक समुद्र तल पर सोते हुए समुद्र गहराई देखी। खरगोश ने सोचा कि यह समुद्र बहुत गहरा है, इसे पार करना मुश्किल होगा। लेकिन फिर भी वह गर्व से खुद को समझाता था कि वह सभी को आसानी से पार कर सकता है।

जब खरगोश ने समुद्र को पार करने की कोशिश की, तो उसे एक बड़ी लहर ने बहुत हानि पहुंचाई। उसे समझ में आया कि वह अपने अहंकार में गलत था और अपनी सही सीख गई। खरगोश ने समुद्र से माफी मांगी और यह सीखी कि अहंकार से बचना जरूरी है।

अन्धेरी कहानी

एक गांव में एक अंधा बड़ा विद्वान था। उसके पास बड़े-बड़े किताबें थीं, और उसने अन्धेरी रातों में भी पढ़ना सीख लिया था। लोग उसे उसकी पढ़ाई के लिए बहुत प्रशंसा करते थे। एक दिन, उसके पास एक नए गांव में रहने वाले एक बालक ने देखा कि वह अंधा रात को बिना दीपक के भी पढ़ रहा था। बालक ने उससे पूछा, “आप अंधेरे में बिना दीपक के कैसे पढ़ते हो?” अंधा ने उत्तर दिया, “अगर आपके पास ज्ञान होता है, तो दीपक की क्या जरूरत है?”

इस कथा से सीख: ज्ञान से आंधेरे को भी दूर किया जा सकता है।

3. गर्वीला बतख

एक बार, एक बतख जल तालाब में रहता था। वह बहुत ही सुंदर और चमकीला था। वह अपनी खूबसूरती में गर्व करता था और अन्य सभी पक्षियों को भी दिखाता था। वह अपने खूबसूरत पंखों की खूबी के लिए प्रशंसा चाहता था। लेकिन एक दिन, उसके पास एक मिन्नू नामक तितली आई और उसका खूबसूरत पंख देखकर भी वह बिना कुछ कहे चली गई।

बतख ने मिन्नू से पूछा, “तुम्हारे पंख इतने सुंदर हैं, तो तुम इतने गर्व क्यों नहीं करते?” मिन्नू ने उत्तर दिया, “मेरे पंख सुंदर हो सकते हैं, लेकिन ये सिर्फ विदेशी पंख हैं, जो किसी दिन गिर सकते हैं। जबकि तुम्हारे पंख प्राकृतिक हैं, जो तुम्हें सभी जगहों पर ले जा सकते हैं।”

इस कथा से सीख: सारे गर्व अपनी प्राकृतिक खूबियों पर करना चाहिए।

दोस्ती की महत्व

एक बार एक छोटे से गांव में दो मित्र रहते थे। उनका नाम रामू और श्यामू था। वे दोनों बहुत अच्छे दोस्त थे और साथ-साथ हर जगह जाते थे। एक दिन, उन्हें बिना समझे गांव के रास्ते पर एक जंगल में खो जाना पड़ा। उन्हें वहां बहुत डर लगता था, लेकिन उन्होंने एक-दूसरे के साथ मिलकर सामना किया और वह बिना किसी कठिनाई के जंगल से बाहर निकल आए।

इस कथा से सीख: सबके साथ मिलकर कठिनाइयों को पार किया जा सकता है।

संयम का महत्व

एक समय की बात है, एक शेर जंगल में रहता था। वह अपनी भूख से परेशान रहता था और अन्य जानवरों को खाने की कोशिश करता था। एक दिन, उसने एक साधु महाराज को खाने के लिए देखा। महाराज वहां ध्यान में बैठे थे और उन्हें खाने की कोई चिंता नहीं थी।

शेर ने महाराज को खाने के लिए आक्रोशित होकर धक्के मारने की कोशिश की, लेकिन महाराज ने अपने संयम से उसे दिलाई और वह उसे छोड़ दिया।

इस कथा से सीख: संयम रखने से भयंकरता को सामना किया जा सकता है।

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