Maharana Pratap In Hindi battle of Haldighati, History, Spouse Chetak महाराणा प्रताप

दोस्तों महाराणा प्रताप नाम ही एक विरता की परिभाषा है, इसलिए Maharana Pratap history का महत्व हमारे जीवन में बहुत महत्वपूर्ण है | वेसे तो हमने भारतीय वीरो पर बहुत सारे पोस्ट लिखे है, जेसे चन्द्र शेखर आजाद और भी कई लेकिन आज का पोस्ट हमारे लिए कुछ ज्यादा ही खाश है, क्योंकी मै राजस्थान से हु और यहाँ के कण कण में battle of haldighati और महाराणा प्रताप जी का नाम है |

यहाँ अगर कही खड़े होकर बलिदान, त्याग और वीरता की बात करेंगे तो सामने वाले का एक ही ज़वाब आएगा वो होगा महराणा प्रताप | बचपन से लेकर आज तक उनसे जुड़े हर तथ्य जेसे महाराणा प्रताप का भाला, battle of haldighati, महाराणा प्रताप का जीवन परिचय सभी बाते हमें बहुत ही आकर्षित करती आई है, चलिए आज हम अपने इस पोस्ट मे Rana Pratap के जीवन परिचय तथा और भी जुडी बातो जेसे maharana pratap height और maharana pratap spouse को विस्तार से जानते है |

  Maharana Pratap

Maharana Pratap history biography

महाराणा प्रताप जीवन काल (9 May 1540 – 29 January 1597) के मध्य रहा है | महाराणा प्रताप का पूरा नाम पूरा नाम महाराणा प्रताप सिंह सिसोदिया था | उनको बचपन में किका के नाम से पुकारा जाता था | ये मेवाड़ के शासक थे |  maharana pratap के पिता का नाम उदयसिंह द्वितीय था तथा माता जी का नाम महाराणी जयवंता बाई था | महाराणा प्रताप का जन्म विस्व प्रसीध्द कुम्भलगढ दुर्ग में हुआ था | Maharana Pratap death 29 January 1597 को हुई थी |

उनकी माता पाली के सोनगरा अखैराज की बेटी थी | जन्म से ही महाराणा प्रताप काफी तेजस्वी थे |उनका राज्याभिषेक उदयपुर के गोगुन्दा में हुआ था  | Maharana pratap spouse Phool Kanwar, फूल कँवर उनकी पत्नी का नाम था | अमर सिंह और भगवान दास उनके दो पुत्र थे | ये तो हुआ उनका जीवन परिचय चलिए आगे अपने अगले प्रेरेग्राफ में पड़ते है इनसे जुडी और भी कुछ प्रेरणा दायक बातो को |

NameYearNameYear
भूपाल सिंह(1930–1947)फतेह सिंह(1884–1930)
उदयपुर के सज्जन सिंह(1874–1884)शम्भू सिंह(1861–1874)
स्वरूप सिंह(1842–1861)सरदार सिंह(1828–1842)
जवान सिंह(1828–1838)भीम सिंह(1778–1828)
हम्मीर सिंह द्वितीय(1772–1778)अरी सिंह द्वितीय(1762–1772)
राज सिंह द्वितीय(1754–1762)प्रताप सिंह द्वितीय(1751–1754)
जगत सिंह द्वितीय(1734–1751)संग्राम सिंह द्वितीय(1710–1734)
अमर सिंह द्वितीय(1698–1710)जय सिंह(1680–1698)
राज सिंह प्रथम(1652–1680)जगत सिंह प्रथम(1628–1652)
करण सिंह द्वितीय(1620–1628)अमर सिंह प्रथम(1597–1620)
महाराणा प्रताप(1572–1597)

Maharana Pratap Biography, Son Father, Mother, Spouse Name

महाराणा प्रताप सिंह उदयपुर के महाराणा थे जो 16वीं शताब्दी में राजस्थान के एक बहुत ही महत्वपूर्ण राजा थे। उन्होंने अकबर के साम्राज्य के विरुद्ध लड़ाई लड़ी और राजपूतों के बीच संग्राम का नेतृत्व किया।

महाराणा प्रताप ने अकबर के शासनकाल में राजपूतों की स्वतंत्रता की रक्षा की और उन्होंने अपनी ताकत का उपयोग करके मुगल सेना को कई बार हराया। उन्होंने अपनी सेना को बेहतर तैयार किया और राजपूतों को एकता में जोड़ने के लिए कई प्रयास किए।

महाराणा प्रताप का नाम राजपूतों के इतिहास में बहुत ही महत्वपूर्ण है। उनके शौर्य और साहस के बारे में कई कहानियां हैं जो लोगों को अभी भी प्रेरित करती हैं।

पूरा नाम – महाराणा प्रताप सिंह सिसोदिया

पिता नाम – उदयसिंह द्वितीय

माता – महाराणी जयवंता बाई

पूर्वाधिकारी- उदयसिंह द्वितीय

उत्तराधिकारी – महाराणा अमर सिंह

पत्नी –  फूल कँवर

पुत्र – अमर सिंह, भगवान दास (17 sons and 5 daughters)

कूल  – सिसोदिया वंश

Maharana Pratap spouse Names

विकिपीडिया के हिसाब से Maharana Pratap ने अपने जीवन काल में कुल 11 शादिया की थी, उनके नाम निम्न प्रकार है : –

फूलबाई राठौर – चंदा और शिखा

खीचर आशाबाई – हत्थी और राम सिंह

सोलनखिनीपुर बाई – साशा और गोपाल

जसोबाई चौहान  – कल्याणदास

रत्नावती बाई परमार – माल,गज,क्लिंगु

लखाबाई – रायभाना

शहमति बाई हाडा  – पुरा

अमरबाई राठौर – नत्था

अलमदेबाई चौहान – जसवंत सिंह

चंपाबाई जंथी  – कल्ला, सनवालदास और दुर्जन सिंह

महारानी अजब्धे पंवार – अमरसिंह और भगवानदास

Maharana pratap height, sword Bhala Facts

जिस प्रकार महाराणा प्रताप का बलिदान और त्याग सबको आकर्षित करता है उसी प्रकार उनसे जुड़े हुए फैक्ट्स भी गजब के है, आज भी उनकी ताकत को महसूस कर सकते है क्योकि महाराणा प्रताप Height 7ft 5 inches थी जो वास्तव में आम hight से बहुत ज्यादा है,  तथा Maharana pratap sword का वजन 25 kg था, जिसके हाथ में २५ kg तलवार (maharana pratap talwar weight), 72 का armor, 80 kg का भला हो वो योधा वास्तव में दुश्मनों के लिए चलती फिरटी मौत थी |

महाराणा प्रताप से जुड़े कुछ फैक्ट्स Facts

Weight of Maharana Pratap’s Bhala ( Javelin )  – 80 Kg

Weight of Maharana Pratap’s Shoes – 5 kg shoe each

Weight of Maharana Pratap’s Armor – 72 Kg

Maharana Pratap’s Height – 7ft 5 inches

Weight of his two swords – 25 kg each

हल्दीघाटी का युद्ध

वेसे तो हिन्दुस्तान में के इतिहास में कई राजा हुए और कई युद्ध भी किये | लेकिन एक युद्ध जिसका नाम हल्दीघाटी का युद्ध था जिसने महाराणा प्रताप को इतना प्रसिद्ध बनाय और पुरे देश में अपना नाम दिया | 18 June 1576 Battle of Haldighati हुआ था |  ये युद्ध केवल एक दिन चला था, एक ही दिन में बहुत भारी संख्या में नरसहार हुआ, जिसमे प्रताप की सेना के आधे से भी ज्यादा योदधा वीर गति को प्राप्त हो गये |

इस युद्ध में 20000 राजपूत सेनिको के सामने 80 000 मुग़ल सेनिक थे | इसमें महाराणा प्रताप को हार का सामना करना पड़ा परन्तु इतने कम सेनिक होने के बावजूत प्रताप की सेना ने मुगलों के छक्के छुड़ा दिए थे | माना जाता है उस दिन haldighati पूरी तरहा से सेनिको के खून से लाल हो गयी थी |

मानसिंह तथा आसफ खाँ ने मुगलों की और से मुगल सेना का नेतृत्व किया था | इस युध्द में बींदा के झालामान ने अपने प्राणों का बलिदान देकर महाराणा प्रताप के जीवन की रक्षा की थी | इसमें तोमर राजपूत योद्धाओं का भी बड़ा योगदान रहा था, इसमें ग्वालियर नरेश ‘राजा रामशाह तोमर ने अपने तीन पुत्र भी गवाए थे |

Battle Of Haldighati

हल्दीघाटी युद्ध परिणाम

माने तो हल्दीघाटी युद्ध का परिणाम सही नहीं आया | सम्राट अकबर को जिवंत प्रताप को पकड़ने की मनं में ही बनी रही | हल्दीघाटी युद्ध के बाद प्रताप ने अपने ज्यादातर किले वापिस जीत लिए थे |

महाराणा प्रताप का घोड़ा चेतक

जिस प्रकार हल्दीघाटी युद्ध में सबने अपने देश प्रेम, बलिदान और त्याग का परिचय दिया उसी प्रकार उस युद्ध प्रताप के प्रिय और स्वामिभक्त घोड़े  चेतक ने का बलिदान भी कभी भुला नहीं जा सकता | चेतक नीलवर्ण काठीयावाडी मूल का घोड़ा था |

उसने मुसीबत के समय हद से बड़े बरसाती नाला उलांघ कर महाराणा प्रताप की सहायता की तथा अपने प्राणों का बलिदान दिया | आज भी चेतक की समाधि बनी हुई है | आज भी इस प्रशिद्ध घोड़े पर कई लोकगीत गए जाते है | इसी लिये haldighati battle के इतिहास चेतक का नाम स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाता है |

Chetak

अंतिम पक्तिया

दोस्तों आशा करते है ये लेख आपको पसंद जरुर आएगा | आप भी अपने बच्चो को इस वीर पुरुष के बारे में तथा इनसे जुडी कहानियो को जरुर सुनाये, इन प्रकार के महापुरुषों की कहानिया देश प्रेम और बलिदान की सिख देते है | अगर आपको ये पोस्ट अच्छा लगे तो कृपया करके अपने फेसबुक वाल पे जरुर सहरे करे |

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