हज़रत ए अब्दुल्ला बिन अब्बास र.ए. से रिवायत है की नबी ए पाक सा.व. ने 1 दिन अपने चाचा हज़रत ए अब्बास बिन अब्दुल मुत्तलिब र.ए. से फरमाया ए अब्बास मेरे मोहतरम चाचा क्या में आपकी खिदमत में 1 बहुत ज्यादा किमती तोहफा पेश करुं?
क्या आपको खास बात बयान करुं क्या में आपके 10 काम और 10 खिदमतें करुं? मेरा मतलब है आपको 1 ऐसा अमल बतादून जिनसे आपको 10 फायदे होंगे ये 1 ऐसा अमल है जिसको करोगे तो अल्लाह ताला आपके तमं गुनाहुं को मुआफ करदेगा
‘अगले और पिचले भी’ पुराने या नया ‘भूल से और जान जाने बूझे भी’ कबीरह भी’ ढके छुपे और जाहिरी भी ऐसी इस अमल को करने के बाद बंदा ऐसा होता है जैसा आज ही अपनी मां के पेट से मिला हुआ हो’
ए चाचा हो खातिर दैनिक ये नमाज पढ़ने अगर न हो को खातिर ये भी ना हो तो महान में या ये भी ना कर साको तो साल में 1 बार या ये भी नहीं कर सकते तो लाइफ में 1 बार जरूर पढ़ेंगे आपके चाचा ने कहा जलदी बताओ तब सरकार ए दो जहान देखा ने फरमाया वो अमल सलातुल तस्बीह की 4 रकात है सुभान अल्लाह:-
Salatul tasbeeh ki namaz ka tarika सलातुल तस्बीह कैसे पढें
नियात की मैंने 4 रकात नमाज़ सलातुल तस्बीह की मुह मेरा काबा शरीफ की तरफ़ वास्ते अल्लाह ताला के सुन्नत रसूलुल्लाह की अल्लाहो अकबर (4 रकात एक सलाम से) पढ़ाई है फिर सबसे पहले सना
(सुभान कल्ला हम्मा) पढ़ने फिर उसके बाद 15 मरतबा ये तस्बीह पढ़ने
सुभा-नल्लाहि वालहम्दु-लिल्लाहही वाला-इलाह इल्लल-लाहु वल्लाहु-अकबर
फिर तौज व तस्मियान (औज़ू बिल्ला बिस्मिल्लाह) पढ़कर सूरह फातिहा (अल्हम्दु श्रीफ) फिर 1 सूरत कोई भी या काम से काम 3 आयान पढ़ने फिर 10 बार ऊपर की तस्बीह पढकर रुकू करे और रुकू में 10 फिर बयाल बार सिद्ध खड़ा होगा और 10 बार तस्बीह समिअल्लाह हुलिमान हमीदह के बाद पढ़ने फिर सजदे पुरुष 10 मरतबा (सुब्हान रब्बियाल आला के बाद)
फ़िर (सजदे के दरमियान) जलसा पुरुष 10 मरताबा फ़िर दसरे सजदे में 10 मरतबा (सुब्हाना रब्बिल आला के बाद)
सलतुल तस्बीह पढ़ने से पहले इस टेबल को जरा याद रखें
क्या तराह पहली रकात पुरुष 75 बारी
दुसरी रकात में 75 बारी
खड़े होते ही पहले 15 बार
फिर सूरह के बाद 10 बारी
फिर रुकू में 10 बार
फ़िर क़ैदा में 10 बारी
फ़िर सजदे पुरुष 10 बारी
फिर जलसा में 10 बारी
फिर दसरे सजदे में 10 बारी
है तराह 75 मरतबा तस्बीह पढ़ने
3 तिसरी रकात में 75 मरतबा और
4 छोटी रकात में 75 मरतबा तस्बीह पढ़ने।
इस तरह चार रकात में कुल 300 मरतबा तस्बीह पढी जाएगी
अंतिम पक्तिया
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